हवा बदल सी गयी है
मेरे शहर की
तेरे चले जाने से….
हर शाम छत पर करती थी ठिठोलियां जो ,
जाना ही भूल गयी छत पर
तेरे चले जाने से…
बन _ ठन जाती थी तेरे दीदार के लिए
संवरना भूल जाती है अब
तेरे चले जाने से….
तुझे मिलने की उम्मीद भी धुंधली
पड़ गयी अब तो
तेरे चले जाने से…
रोज चाँद से शिकायत करती है तेरी
शायद तू सुन रहा होगा ये सोच के
तेरे चले जाने से…
वादा किया था तूने ना भुलाने का
पता नही वहाँ तक
मेरी याद पहुंचती भी होगी या नही
तेरे चले जाने से….
जब भी चाहती हूं तुझे भूलना
सपनो में दस्तक दे देते हो
क्या करूँ अब??
तेरे चले जाने से…
Khoobsurat rachna hai
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Dhanyawad 😊
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I also write in Hindi. Plz check out my blog.
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Yeah 😊
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क्या बात है बहुत खूब नेहा जी
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धन्यवाद सर 😊
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Swagat hai Nehaji.
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बहुत ही उम्दा 👌🙏
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धन्यवाद
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स्वागत-सत्कार और होली बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙌😋😍🙏😃😄😊
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बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी पढकर अच्छा लगा।
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धन्यवाद….ऐसा महसूस किया लिख दिया 😊
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अभार आपका। जो एहसास होता है वही तो हम सब लिखते हैं पर कभी कभी भावनाओं का जहाँ मेल हो जाता है वही बात अच्छी लगने लगती है। है न।
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हाँ जी 😊😊
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